- Battle of talikota-( 26 January-1565) between vijayanagar and the Deccan.
- Battle of rohilla - 1773-1774 between Shula-ud-daula and rohillas.
- Battle of Kharda- 1795 between Nizam and Peshwa Madhavrav second.
- Thalliam is the element used in rat killers poison, discovered by William Crooks in 1861.
- UPSC is founded in 1-October-1926.
- Slavery is banned by Akbar.
- Sunday as holiday from 1843 by Britishers.
- Battle of samugarh - (29-may-1658) was a war of succession between the sons of mughal emperor shahjahan.
- America comes from Amerigo Vespucci.
- French chemist Anselme payen was the first to discover diatase in 1893.
- Jahangir banned use of tobacco in his Court.
- Mir syed was in the court of Humayun , later Akbar.
- Bidhan das is in the court of Jahangir.
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Sunday 20 November 2016
History Important Notes - 2
History Important Notes -1
- Dandin authored Kavyadarshan.
- Visakadatta authored Devichandraguptam and Mudhraksham.
- Samudra gupta famous Dakshinapath expedition was against south Indian Rulers.
- Chandra gupta asumed the title of Sakari.(Destroyer of Sakas).
- Vasubandhu (Buddhist Scholar) was Partronized by Gupta King.
- Manusmriti was one of the first Sanskrit text translated during the British rule in 1794 by sir william jones.
- Sudrak was renowned poet of Gupta age , he wrote a book Mrichchakatik (little clay art). Arthur W Ryder Translated it.
- The Panchatantra Stories was composed by Vishnu Sharma, during gupta period.
- Vatsyayana authored Nyaya Sutra Bhashya and Kamasutra.
- Magha authored Sisupala vadha.
Friday 23 September 2016
some historic facts
बादशाह शाहजहां की कामना अपने पूर्वज बाबर की मातृभूमि को पनुः अधिकृत
करने की न होकर मध्य एशिया तथा पश्चिम एशिया के राज्यों में शक्ति संतुलन की अधिक
थी। उसके बल्ख अभियान का उद्देश्य काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक
मित्र शासक को लाना था ताकि वे ईरान और मुगल साम्राज्य के बीच बफर राज्य बन सकें।
कवींद्राचार्य शाहजहां के आश्रित कवि थे, इनकी भाषा में ब्रज एवं अवधी का अनुपम
समन्वय है। कविंद्र कल्पलता उन्होंने शाहजहां की प्रशस्ति में प्रणीत की थी।
सरस्वती उपाधि धारण यह विदा्न संस्कृत का मर्मज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर तीर्थयात्रा कर
समाप्त करवा दिया था, विश्वनाथ न्याय पंचानन सहित एक सौ एक विदा्नों ने इसे संग्रह समर्पित
किया था।
शाहजहां का काल मुगल काल का स्वर्ण काल माना जाता है इसके समय में कला, साहित्य, शिक्षा के क्षेत्र
में पर्याप्त विकास हुआ। साहित्य के क्षेत्र में शाहजहां के शासनकाल में विशेष
उन्नति हुई इस काल में फारसी भाषा में दो शैलियां प्रचलित थीं। प्रथम भारतीय फारसी
तथा दूसरी ईरानी फारसी। भारतीय फारसी शैली का उत्कृष्ट प्रवर्तक अबुल फजल था। इस
शैली के विदा्नों में अब्दुल हमीदलाहौरी, मोहम्मद वारिसव चंद्रभान ब्राह्मण आदि थे। ईरानी
फारसी शैलीके विदा्नों अमीनाई क़ज़वीनी तथा जलालुद्दीन तबातबाई थे। ईरानी पद्य
शैली का इस समय काफी बोलबाली था। शाहजहां ने ईरानी फारसी पद्य शैली के कवि कलीम को
‘राजकवि’ भी नियुक्त किया।
कलीम के अतिरिक्त फारसी कवियों में ‘सईदाई गीलानी, सुदसी, मीरमुहम्मद काशी, साएगा, सलीम मसीह, रफी, फारुख, मुनीर, शोदा, चंद्रभस ब्रह्म्ण, हाजिक, दिलेरी आदि थे।
सिद्धांत रूप में गांधीजी का राज्य के अस्तित्व
विरुद्ध होने के कारण उन्हें दार्शनिक अराजकतावादी की श्रेणी में रखा जाता है,
परंतु
वर्तमान परिस्थितियों में व राज्य को समाप्त करने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना
था कि वर्तमान समय में मानव जीवन इता पूर्ण नहीं है कि वह स्वयं संचालित हो सके
इसलिए समाज में राज्य र राजकीय शक्ति की आवश्यकता है, लेकिन इसके
साथ-साथ ही उनका विचार था कि राज्य का कार्यक्षेत्र न्यूनतम होना चाहिए। इस प्रकार
गांधीजी के राज्य संबंधी विचारों को व्यवहारिक दृष्टिकोण से व्यक्तिवादी कहा जा
सकता है। गांधी एक स्च्चे समाजवादी भी थे। वे व्यक्ति के हित के साथ-साथ समाज के
हित का ध्यान रखते थे। वे सामाजिक न्याय के उदात सिद्धांतों को क्रियात्मक रूप
देना चाहते थे। वे अन्याय और अत्याचार के विरोधी थे। गांधीजी ने लुई फिशर से स्वयं
कहा, “मैं सच्चा समाजवादी हूं। मेरे समाजवाद का अर्थ है सर्वोदय।” गांधीजी के समाजवाद
में मार्क्सवाद की भी झलक मिलती है। गांधीजी श्रम को असाधारणमहत्व देतेथे। वे इस
सिद्धांत को क्रियात्मक रूप देना चाहतेथे कि प्रत्येक से इसके सामर्थ्य के अनुसार
काम ललिया जाए तथा प्रत्येक को आवश्यकतानुसार पारिश्रामिक दिया जाए।गांधी
मार्क्सवादियोंकीभांति भावी आदर्श व्यवस्था में राज्य की सत्ता नहीं मानते थे।
गांधीजी स्वयं कहते थे कि “मैं शी समस्या को सुलझाने में लगा हूं जो कि वैज्ञानिक
समाजवाद के सामने है।‘’ अतः गांधीजी को समाजवादियोंमेंएकव्यक्तिवादीऔर समाजवादियोंमेंएक
मार्क्सवादी कहा जा सकताहै।
दक्षिण एशिया हिमालय के दक्षिण में स्थित एक
भौगोलिक क्षेत्र है। इसमें 8 देश भारत, पाकिस्तान,
अफगानिस्तान,
नेपाल,
भूटान,
बांग्लादेश,
मालदीव
तथा श्रीलंका सामिल हैं। इस क्षेत्र की जनसंख्या 1.567 बिलियन है जो विश्व जनसंख्या का 23.7
प्रतिशत
है जबकि इस क्षेत्र की भूमि कुल वैश्विक भू-क्षेत्र का मात्र 3.95 प्रतिशत
है। भूमि पर अत्यधिक जनसंख्या का दबाव, कृषि योग्य भूमि की कमी तथा छोटी जोत
के कारण यह क्षेत्र अभी भी कृषिजन्य समस्याओं से ग्रश्त तथा अल्पविकसित है। यहां गरीबी , बेरोजगारी,
कुपोषण,
भुखमरी
तथा अशिक्षा व्याप्त है। एफएओ के अनुसार , विश्व के 795 मिलियन
अल्पपोषित लोगों में से 281 मिलियन लोग दक्षिण एशिया में ही
अधिवासित हैं। बावजूद इसे, यह क्षेत्र वर्तमान समय में विश्व में
उच्चतम वकास दर अर्जत कर रहा है। इस क्षेत्र की परंपरागत एवं पिछड़ी हुई कृषि में
आर्थिक एवं तकनीकी निवेश करके सके समग्र विकास को और आगे बढ़ाया जा सकता है जो इस क्षेत्र में
व्याप्त विविध समस्याओं को मिटाने में मददगार साबित होगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सार्क देशों के
कृषि मंत्रियों द्वारा पूर्व में दो बैठकों का आयोजन किया जा चुका है। ७ अप्रैल, २०१६ को बांग्लादेश की राजधानी ढाका
में इसकी तीसरी बैठक का आयोजन किया गया ताकि कृषि को इस क्षेत्र को आर्थिक एवं
सामाजिकविकास का इंजन बनाया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, मौद्रिक सहयोग तथा सतत आर्थिक विकास को
बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय
व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा दुनिया भर में गरीबी को कम करने के उद्देश्य के
साथ वर्ष 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते के तहत वर्ष 1945 में ‘अंतरराण्ट्रीय मुद्रा कोष’ औपचारिक रूप से अस्तित्व में आया। इसका
मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय
मुद्रा कोष दस्य देशों की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने के काथ-साथ उन्हें तकनीकी
सहायता प्रदान करता है। िसके अतिरिक्त सदस्य देशों के उतपादक संसाधनों के विकास और
रोजगार तथा वास्तविक आय के उच्च स्तोरं को कायम रखने में भीसहायता प्रदान करता है।
वर्तमान में इसके 189 सदस्य हैं। हाल ही में नौरू गणराज्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा
कोष का नवीनतम सदस्य बना है।
Full name of balban was gyas-ud-din balban.
His real name was bahauddin .
In 1249AD he married hid daughter with Nasir-ud-din.
In 1266 Balban came over the throne of delhi.
He took the title of Niyamat -i- khudai (deputy of god) & zil-i-illahi (shadow of god).
His real name was bahauddin .
In 1249AD he married hid daughter with Nasir-ud-din.
In 1266 Balban came over the throne of delhi.
He took the title of Niyamat -i- khudai (deputy of god) & zil-i-illahi (shadow of god).
Sunday 17 July 2016
Bhakti Movement
भक्ति आंदोलन
शंकराचार्य –
शंकराचार्य –
- शंकराचार्य का जन्म 788 ई० मे कल्लादी केरला में हुआ।
- शंकराचार्य को क्रिप्टोबुद्धा कहा जाता है।
- शंकराचार्य ने चार अलग-अलग जगहों पर चार मठों को स्थापित किया।
- उ० – जोशी मठ (उत्तराखण्ड)
- प - द्वारिका मठ (गुजरात)
- पू० – पुरी मठ (उड़ीसा)
- द० – संग्रेरी मठ (कर्नाटक)
रामानन्द –
- रामानन्द के गुरु का नाम रामानुजाचार्य था। इन्होने भक्ति आन्दोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत की ओर फैलाया।
- रामानन्द के बारह शिष्य थे। जिसमें १० शिष्य पुरुष तथा दो शिष्य महिला थी।
1.
कबीर (कुलाहा)
2.
सेन (सोनाई)
3.
रविदास (मोची)
4.
पीपा (राजपूत)
रैदास –
- रैदास ने रैदासी सम्प्रदाय की स्थापना की।
चैतन्य महाप्रभु –
- चैतन्य का जन्म पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में 18-feb-1486 में हुआ। चैतन्य के बचपन का नाम निमाई पण्डित था।
- परन्तु उनका वास्तविक नाम विश्वाम्भर मिश्र था।
- भारतीय संगीत में कीर्तन चैतन्य महाप्रभु द्वारा लाये गए।
मीराबाई –
- मीराबाई का जन्म राजस्थान के मेरता में एक राठौर परिवार में हुआ। मीराबाई श्री कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थी।
सूरदास –
- सूरदास का जन्म उ०प्र० में हुआ। सूरदास जन्म से अन्धे थे। सूरदास ने कुछ महत्वपूर्ण किताबे लिखीं।
1.
सूरसागर
2.
साहित्यलहरी
3.
सूरसारावली
नरसिंह मेहता –
- नरसिंह मेहता का दूसरा नाम नरसी मेहता था। वह गुजारत से सम्बन्ध रखते थे।
- नरसिंह मेहता ने एक गीत की रचना की (वैष्णवजनतोतेने कंहईये) जो की गाँधी का बहुत प्रिय गीत था।
गुरूनानक –
- गुरूनानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 में हुआ तलवन्डी, नानकाना सहायक पाकिस्तान में हुआ.
- मर्दाना गुरूनानक का पहल अनुयायी था। तथा अधिक समय तक साथी रहा।
- मर्दाना रवाव बजाया करता था गुरूनानक जी की मृत्यु 22 sept. 1539 ई० में कर्तारपुर में हुई। ये सिक्खों के पहले गुरू थे।
कबीर –
- कबीर का जन्म वाराणसी में हुआ कबीर के माता पिता नीरू और नीमा थे।
- कबीर ने जातिवाद तथा मूर्तिपूजा की आलोचनाकी। तथा ईश्वर एकता, पर बल दिया। कबीर ने कुछ महत्वपूर्ण किताबों की रचना की ः-
1.
बीजक (यह एक पवित्र शास्त्र है )
2.
साखी
3.
सबद
Sunday 10 July 2016
मराठा –
Shivaji
Ø मराठा वंश को शिवाजी ने स्थापित किया। शिवाजी का जन्म 19-feb-1630 ई० मे शिवनेर में हुआ
Maratha empire was
established by Shivaji , he got birth in 19-feb-1630 at shivner.
Ø शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोसले था तथा माता का नाम जीजाबाई था।
Shivaji’s father was shah ji bhonsle and
mother was jijabai.
Ø शुरुआत में शाह जी के पास अहमदनगर की कमान थी
Earlier Shahji was an officer in
Ahemadnagar and later and later joined bijapur.
Ø शिवाजी के संरक्षक गुरु कोणदेव थे।
Shivaji’s guardian was Guru kondev.
Ø शिवाजी के गुरु रामदास थे। रामदास ने दास बोघ नामक पुस्तक लीखी।
His teacher was Ramdas, who authored a
book called Dasbodh.
Ø 10-nov-1659 में बीजापुर के शासक आदिलशाह(।।) ने अपने सेनापति अफजल खाँन को शिवाजी को मारने भेजा।
In 1659 Ali adil shah second of bijapur sent
his general Afzal khan to capture Shivaji, who was killed by shivaji.
In 1660 Aurangzeb sent Shaista khan
against shivaji , who was forced to move away by shivaji.
Ø परन्तु शिवाजी ने अफजल खाँ को पराजित कर दिया।
Ø 1664 ई० में सूरत को पहली बार लूटा।
Shivaji first time looted surat in 1664.
Ø शिवा जी ने दूसरी बार सूरत को 30 अक्टूबर 1670 में लूटा
Shivaji second time looted surat in 30 oct-1670.
Ø 1665 औरंगजेब ने अपने सेनापति जयसिंह को शिवा जी के पास भेजा जो कि संधि करने में सफल रहे।
In 1665 Aurangzeb sent Jai singh against
shivaji , who concluded a treaty of purandhar with shivaji.
Ø संधि के हिसाब से शिवाजी को औरंगजेब के दरबार में आनाथा। अतः शिवा जी को बंदी बना लिया गया।
Under the treaty shivaji went to agra to
visit aurangzeb’s court , where he was arrested.
Ø 1666 ई० में शिवाजी किसी तरह से मुगल से छूट गए।
In August 1666 shivaji however escaped
from mughal arrest.
Ø 1674 ई० में शिवाजी का बनारस के पन्डित गंगाभट्ट के द्वारा रायगढं में राजतिलक किया गया।
In 1674 Shivaji was coronated at Raigarh
by a pandit of Varanasi Sri ganga bhatta.
Ø 1680 ई० में रायगढ़ में बुखार से पीड़ित होने के कारण शिवाजी की मृत्यु हो गयी।
In 1680 Shivaji died.
Ø शिवाजी के मंत्रीपरिषदों को अष्टप्रधान कहा गया।
The council of Ministers of Shivaji was
called as Ashtapradhan.
Ø शिवाजी ने पुर्तगालियों की मदद से अपनी सेना को आधुनिक बनाया।
Shivaji Modernized his army with the
help of Portuguse.
Ø शिवाजी ने दो कर लागू किया –
i) सरदेश
ii) चौथ
Shivaji collected
two kind of taxes-
1.
chauth
2.
sardesh
Note – Ashtadiggajas was a group of 8 telugu poets in the court
of Krishna dev rai of vijaya nagar.
This was the group of bhakti sects.
Ø शिवाजी के उत्तराधिकारी शम्भाजी थे।
Shivaji’s successor was Shambhaji.
Ø शम्भाजी को मुगलों की सेना ने हरा दिया क्योंकी शम्भा जि ने मुगलों के राजकुमार अकबर(।।।) को पनाह दी थी।
Shambhaji was defeated and killed by Mughal
Army because he had given shelter to the rebellious mughal king akbar third.
Ø शम्भा जी की मृत्यु के बाद उनका पुत्र शाहुजी तथा उनकी पत्नी यशुबाई को मुगलों के द्वारा कैद कर लिया गया।
After the death of Shambhaji his son
shahu and Wife Yeshubai was arrested by mughal army.
Later Rajaram became Maratha
Chhatrapati.
But Rajaram was killed by Mughal Army.
After the death of rajram his wife
tarabai made her infant son Shivaji Second the next Chhatrapati and herself
became his regent.
Ø 1707 औरंगजेब की मृत्यु के बाद बहादुरशाह(।) के समय शाहु जी को मुगल कैद से रिहा कर दिया गया।
After the death of Aurangzeb in 1707AD. Shahuji
was released from Mughal arrest , it was
the time when mughal king was Bahadur Shah first.
Ø राजाराम की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने अपने नवजात बच्चे को अगला क्षत्रपति घोषित कर दिया।
Ø कुछ समय बाद शाहुजी तथा ताराबाई के बीच युद्ध हुआ। जिसके उपान्त मराठों के अगले क्षत्रपति शाहुजी बने।
Consequently battle of kheda took place
between Shahu and tarabai in 1707 AD.
After the battle shahu became Maratha
Chhatrapati.
Being obliged Shahu appointed Balaji
vishwnath his peshwa.
From here the the period of peshwa
started in Maratha’s History.
Ø खेड़ा का युद्ध 1707 ई० में ताराबाई और शाहुजी के बीच हुआ शाहु जी मराठों में पेशवा का जन्म हुआ (पेशवा) प्रधानमंत्री के बराबर)
Ø बालाजी विश्वनाथ मराठों के पहले पेशवा थे।
Balaji vishwanath was the first peshwa
of Maratha.
Ø शाहजी(Shahuji) ने बालाजी विश्वनाथ को पहल पेशवा आमंत्रित किया।
Ø 14-jan-1761 ई० मे बालाजी बाजीराव के समय मराठों का अफगानों से पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ।
In 14-Jan-1761 the Third Battle of
panipat was fought between Maratha and Afghans.
Ø इस युद्ध में अफगानों का सेनापति अहमदशाह अबदाली मराठों का सेनापति विश्वासराय था।
In this battle the Afghan’s commander was
Ahemad shah abdali and Maratha’s commander was Vishwas rao.
But sadashiv was real commander.
Ø बाजीराव(।।) अन्तिम पेशवा था। जिन्होने अंग्रेजों के साथ सहायक संधि की थी।
Baji rav 2nd was the last peshwa who concluded
subsidiary alliance with britishers.
Ø सहायक संधिक के बाद पेशवा को कानपुर के पास बिठुर भेजा गया तथा इसी प्रकार धीरे-धीरे मराठों की शक्ति कमजोर पड़ती गयी तथा पेशवा का अंत हो गया।
After this alliance peshwa was sent to
bithur near Kanpur on pension, and gradually Maratha empire annexed into British
empire.
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