Friday, 23 September 2016

some historic facts

बादशाह शाहजहां की कामना अपने पूर्वज बाबर की मातृभूमि को पनुः अधिकृत करने की न होकर मध्य एशिया तथा पश्चिम एशिया के राज्यों में शक्ति संतुलन की अधिक थी। उसके बल्ख अभियान का उद्देश्य काबुल की सीमा से सटे बल्ख और बदख्शां में एक मित्र शासक को लाना था ताकि वे ईरान और  मुगल साम्राज्य के बीच बफर राज्य बन सकें।
कवींद्राचार्य शाहजहां के आश्रित कवि थे, इनकी भाषा में ब्रज एवं अवधी का अनुपम समन्वय है। कविंद्र कल्पलता उन्होंने शाहजहां की प्रशस्ति में प्रणीत की थी। सरस्वती उपाधि धारण यह विदा्न संस्कृत का मर्मज्ञ था, इसने बादशाह से निवेदन कर तीर्थयात्रा कर समाप्त करवा दिया था, विश्वनाथ न्याय पंचानन सहित एक सौ एक विदा्नों ने इसे संग्रह समर्पित किया था।

शाहजहां का काल मुगल काल का स्वर्ण काल माना जाता है इसके समय में कला, साहित्य, शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ। साहित्य के क्षेत्र में शाहजहां के शासनकाल में विशेष उन्नति हुई इस काल में फारसी भाषा में दो शैलियां प्रचलित थीं। प्रथम भारतीय फारसी तथा दूसरी ईरानी फारसी। भारतीय फारसी शैली का उत्कृष्ट प्रवर्तक अबुल फजल था। इस शैली के विदा्नों में अब्दुल हमीदलाहौरी, मोहम्मद वारिसव चंद्रभान ब्राह्मण आदि थे। ईरानी फारसी शैलीके विदा्नों अमीनाई क़ज़वीनी तथा जलालुद्दीन तबातबाई थे। ईरानी पद्य शैली का इस समय काफी बोलबाली था। शाहजहां ने ईरानी फारसी पद्य शैली के कवि कलीम को राजकवि भी नियुक्त किया। कलीम के अतिरिक्त फारसी कवियों में ‘सईदाई गीलानी, सुदसी, मीरमुहम्मद काशी, साएगा, सलीम मसीह, रफी, फारुख, मुनीर, शोदा, चंद्रभस ब्रह्म्ण, हाजिक, दिलेरी आदि थे।

सिद्धांत रूप में गांधीजी का राज्य के अस्तित्व विरुद्ध होने के कारण उन्हें दार्शनिक अराजकतावादी की श्रेणी में रखा जाता है, परंतु वर्तमान परिस्थितियों में व राज्य को समाप्त करने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि वर्तमान समय में मानव जीवन इता पूर्ण नहीं है कि वह स्वयं संचालित हो सके इसलिए समाज में राज्य र राजकीय शक्ति की आवश्यकता है, लेकिन इसके साथ-साथ ही उनका विचार था कि राज्य का कार्यक्षेत्र न्यूनतम होना चाहिए। इस प्रकार गांधीजी के राज्य संबंधी विचारों को व्यवहारिक दृष्टिकोण से व्यक्तिवादी कहा जा सकता है। गांधी एक स्च्चे समाजवादी भी थे। वे व्यक्ति के हित के साथ-साथ समाज के हित का ध्यान रखते थे। वे सामाजिक न्याय के उदात सिद्धांतों को क्रियात्मक रूप देना चाहते थे। वे अन्याय और अत्याचार के विरोधी थे। गांधीजी ने लुई फिशर से स्वयं कहा, “मैं सच्चा समाजवादी हूं। मेरे समाजवाद का अर्थ है सर्वोदय। गांधीजी के समाजवाद में मार्क्सवाद की भी झलक मिलती है। गांधीजी श्रम को असाधारणमहत्व देतेथे। वे इस सिद्धांत को क्रियात्मक रूप देना चाहतेथे कि प्रत्येक से इसके सामर्थ्य के अनुसार काम ललिया जाए तथा प्रत्येक को आवश्यकतानुसार पारिश्रामिक दिया जाए।गांधी मार्क्सवादियोंकीभांति भावी आदर्श व्यवस्था में राज्य की सत्ता नहीं मानते थे। गांधीजी स्वयं कहते थे कि “मैं शी समस्या को सुलझाने में लगा हूं जो कि वैज्ञानिक समाजवाद के सामने है।‘’ अतः गांधीजी को समाजवादियोंमेंएकव्यक्तिवादीऔर समाजवादियोंमेंएक मार्क्सवादी कहा जा सकताहै।

दक्षिण एशिया हिमालय के दक्षिण में स्थित एक भौगोलिक क्षेत्र है। इसमें 8 देश भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव तथा श्रीलंका सामिल हैं। इस क्षेत्र की जनसंख्या 1.567 बिलियन है जो विश्व जनसंख्या का 23.7 प्रतिशत है जबकि इस क्षेत्र की भूमि कुल वैश्विक भू-क्षेत्र का मात्र 3.95 प्रतिशत है। भूमि पर अत्यधिक जनसंख्या का दबाव, कृषि योग्य भूमि की कमी तथा छोटी जोत के कारण यह क्षेत्र अभी भी कृषिजन्य समस्याओं से ग्रश्त तथा अल्पविकसित है। यहां गरीबी , बेरोजगारी, कुपोषण, भुखमरी तथा अशिक्षा व्याप्त है। एफएओ के अनुसार , विश्व के 795 मिलियन अल्पपोषित लोगों में से 281 मिलियन लोग दक्षिण एशिया में ही अधिवासित हैं। बावजूद इसे, यह क्षेत्र वर्तमान समय में विश्व में उच्चतम वकास दर अर्जत कर रहा है। इस क्षेत्र की परंपरागत एवं पिछड़ी हुई कृषि में आर्थिक एवं तकनीकी निवेश करके सके समग्र विकास को और आगे बढ़ाया जा सकता है जो इस क्षेत्र में व्याप्त विविध समस्याओं को मिटाने में मददगार साबित होगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सार्क देशों के कृषि मंत्रियों द्वारा पूर्व में दो बैठकों का आयोजन किया जा चुका है। ७ अप्रैल, २०१६ को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इसकी तीसरी बैठक का आयोजन किया गया ताकि कृषि को इस क्षेत्र को आर्थिक एवं सामाजिकविकास का इंजन बनाया जा सके।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, मौद्रिक सहयोग तथा सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा दुनिया भर में गरीबी को कम करने के उद्देश्य के साथ वर्ष 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते के तहत वर्ष 1945 में अंतरराण्ट्रीय मुद्रा कोषऔपचारिक रूप से अस्तित्व में आया। इसका मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में स्थित है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष दस्य देशों की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने के काथ-साथ उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करता है। िसके अतिरिक्त सदस्य देशों के उतपादक संसाधनों के विकास और रोजगार तथा वास्तविक आय के उच्च स्तोरं को कायम रखने में भीसहायता प्रदान करता है। वर्तमान में इसके 189 सदस्य हैं। हाल ही में नौरू गणराज्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का नवीनतम सदस्य बना है।



Full name of balban was gyas-ud-din balban.
His real name was bahauddin .
In 1249AD he married hid daughter with Nasir-ud-din.
In 1266 Balban came over the throne of delhi.
He took the title of Niyamat -i- khudai (deputy of god) & zil-i-illahi (shadow of god).





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