अभी हाल ही में डब्ल्यूएचओ की मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने काफी अच्छा काम किया है मलेरिया को रोकने के लिए।
11 देशों में से भारत एकमात्र देश रहा जिसने मलेरिया को रोकने के लिए अहम कदम उठाए गए 2017 में भारत ने 24 परसेंट मलेरिया में कमी की है इससे यह साबित होता है कि भारत मलेरिया नियंत्रण में बाकी देशों के लिए एक रोल मॉडल पेश होगा।
2015 में हुए ईस्ट एशिया सम्मेलन में मलेरिया को रोकने के लिए भारत ने एक कड़ा फैसला लिया जिसके अनुसार उसने 2030 तक मलेरिया को देश से उखाड़ फेंकने पर बल दिया।
इसके अंतर्गत भारत ने मलेरिया के बचाव को मलेरिया के खाते में में तब्दील किया। इस प्लान के अनुसार 678 जिलों में से 571 जिलों में मलेरिया पूर्ण रूप से 2022 तक समाप्त किया जाएगा।
किसी योजनाओं को संपूर्ण करने के लिए कम से कम 10000 करोड रुपए की आवश्यकता होगी।
और इस काम को अंजाम देने के लिए सभी लोगों के साथ में मिलकर कार्य करने से कार्य पूर्ण होगा जैसे सोसायटी के लोग और फिलैंथरोपिस्ट इत्यादि।
जैसा हम जानते हैं किस स्वास्थ्य राज्य सूची के अंतर्गत आता है
राज्य सरकारों को सही तरीके से इससे निपटने के प्रयास करने चाहिए।
भारत में उड़ीसा एकमात्र ऐसा राज्य रहा जो बाकी राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना क्योंकि ओडिशा में 80 % मलेरिया खत्म कर दिया गया।
उड़ीसा में एक विशेष प्रकार की योजना चालू की गई जिसे दमन कहा गया।
मलेरिया के खाते में प्राथमिकता देने के साथ-साथ भारत में उड़ीसा ने काफी अच्छा योगदान दिया है।
अब बात करते हैं मलेरिया क्या है
मलेरिया एक परजीवी जनित रोग है या रोग विशेष रूप से प्रोटोजोआ से होता है जिसका नाम है प्लाज्मोडियम वाइब एक्स यह परजीवी एनाफिलीज मच्छर में रहता है जो खासकर मादा मच्छर होती है और जब यह मच्छर किसी को काटता है उस परजीवी को उस व्यक्ति के शरीर में छोड़ देता है यह जानकारी सबसे पहले डॉक्टर Ronald Ross द्वारा दी गई थी।
अगर इस रोग के लक्षण की बात करें तो सबसे पहले सर्दी लगकर बुखार आता है शरीर में काफी दर्द होता है।
इलाज
इसका इलाज क्विनीन से किया जा सकता है जो कि सिनकोना पौधे के छाल से प्राप्त किया जाता है।
11 देशों में से भारत एकमात्र देश रहा जिसने मलेरिया को रोकने के लिए अहम कदम उठाए गए 2017 में भारत ने 24 परसेंट मलेरिया में कमी की है इससे यह साबित होता है कि भारत मलेरिया नियंत्रण में बाकी देशों के लिए एक रोल मॉडल पेश होगा।
2015 में हुए ईस्ट एशिया सम्मेलन में मलेरिया को रोकने के लिए भारत ने एक कड़ा फैसला लिया जिसके अनुसार उसने 2030 तक मलेरिया को देश से उखाड़ फेंकने पर बल दिया।
इसके अंतर्गत भारत ने मलेरिया के बचाव को मलेरिया के खाते में में तब्दील किया। इस प्लान के अनुसार 678 जिलों में से 571 जिलों में मलेरिया पूर्ण रूप से 2022 तक समाप्त किया जाएगा।
किसी योजनाओं को संपूर्ण करने के लिए कम से कम 10000 करोड रुपए की आवश्यकता होगी।
और इस काम को अंजाम देने के लिए सभी लोगों के साथ में मिलकर कार्य करने से कार्य पूर्ण होगा जैसे सोसायटी के लोग और फिलैंथरोपिस्ट इत्यादि।
जैसा हम जानते हैं किस स्वास्थ्य राज्य सूची के अंतर्गत आता है
राज्य सरकारों को सही तरीके से इससे निपटने के प्रयास करने चाहिए।
भारत में उड़ीसा एकमात्र ऐसा राज्य रहा जो बाकी राज्यों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना क्योंकि ओडिशा में 80 % मलेरिया खत्म कर दिया गया।
उड़ीसा में एक विशेष प्रकार की योजना चालू की गई जिसे दमन कहा गया।
मलेरिया के खाते में प्राथमिकता देने के साथ-साथ भारत में उड़ीसा ने काफी अच्छा योगदान दिया है।
अब बात करते हैं मलेरिया क्या है
मलेरिया एक परजीवी जनित रोग है या रोग विशेष रूप से प्रोटोजोआ से होता है जिसका नाम है प्लाज्मोडियम वाइब एक्स यह परजीवी एनाफिलीज मच्छर में रहता है जो खासकर मादा मच्छर होती है और जब यह मच्छर किसी को काटता है उस परजीवी को उस व्यक्ति के शरीर में छोड़ देता है यह जानकारी सबसे पहले डॉक्टर Ronald Ross द्वारा दी गई थी।
अगर इस रोग के लक्षण की बात करें तो सबसे पहले सर्दी लगकर बुखार आता है शरीर में काफी दर्द होता है।
इलाज
इसका इलाज क्विनीन से किया जा सकता है जो कि सिनकोना पौधे के छाल से प्राप्त किया जाता है।