Wednesday 30 January 2019

मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियां

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के बारे में जानकारी दी गई है इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति आम सूचना द्वारा जारी कर सकता है।

अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या की दृष्टि से मध्य प्रदेश सारे देश में प्रथम स्थान पर है

मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति भील है

भील
द्रविड़ भाषा में इस शब्द का मतलब होता है धनुष से क्योंकि विलो में धनुष बड़ों का अत्यधिक महत्व होता है।
भील प्रदेश की कुल जनजातीय जनसंख्या का 3.08.

भील समाज पितृसत्तात्मक होता है।
भीलो में दो तरह के विवाह होते हैं।
परीक्षा विवाह इसे गोल गधेड़ो कहा जाता है।
अपहरण विवाह इससे भगेरिया कहा जाता है।

भील संसार की सबसे अधिक रंग प्रिय जनजाति है।
भील जनजाति की प्रमुख उपजातियां - बरेला, बैगा , रथियास ,   पटलिया, भीलाला।

भील जनजाति अपने घरों को बड़े आकार में तथा खुले खुले बनाती है जिन्हें कू कहा जाता है


भगोरिया हाट भीलों का आर्थिक समाजिक एवं सांस्कृतिक महत्व का मेला है
उत्सव एवं नृत्य
भगोरिया गौरी घूमर कठपुतली इत्यादि।

यह जनजाति अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है

भीलो का धर्म आत्मावादी होता है इनके सबसे प्रमुख देवता राजापंथा है।

यह पहाड़ी वनों को जलाकर कृषि करते हैं इनके द्वारा की गई कृषि चीमाता कहलाती है

मादीव, बदबू या भगत जाति का व्यक्ति सबसे पवित्र माना जाता है।

गोंड

गोंड भारत की सबसे बड़ी जनजाति है।

मध्य प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है।

गोंड जनजाति के धार्मिक विश्वास में टोटम का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
इनके प्रमुख देवता बूढ़ादेव है।
इसके अलावा दूल्हादेव सूरजदेव और नारायण देव भी महत्वपूर्ण देवता है।

Gond पारंपरिक रूप से किसान हैं तथा हल इन का प्रतीक है

मुख्य भाषा
गोंडी
डोरली
हल्दी
भरतरी

गोंड की प्रमुख उपजातियां

अगरिया - यह लोहे का काम करते हैं और इन के देवता लोहासुर हैं

परधान - यह मंदिरों में पूजा पाठ तथा पुजारी का काम करने वाले गोंड हैं

कोयला भूतिस- यह नाचने गाने वाले है।

ओझा - यह पंडिताई तथा तांत्रिक क्रिया करते हैं

सोलहसो - यह बढ़ाई गिरी का काम करते है।

बैगा जनजाति

बैगा एक आदिम जनजाति है
यह द्रविड़ वर्ग की जनजाति है , इसे अत्यंत पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है।
इससे धरतीपुत्र या 20 बार कह कर संबोधित किया जाता है।

इस जनजाति के लोग स्थानांतरित कृषि करते हैं जिसे dhahipondu या bevaar कहा जाता है

आँखेंटन और मत्स्यन का इनके जीवन यापन में महत्वपूर्ण योगदान है

इनका प्रमुख औजार कुल्हाड़ी है।

कल के प्रमुख देवता बूढ़ादेव है।

बैगा जनजाति के लोग गांव की रक्षा करने के लिए ठाकुरदेव तथा बीमारियों से रक्षा के लिए दूल्हादेव की पूजा करते हैं।

इनके प्रमुख नृत्य -
करमा
सैला
परधोनी
फाग

कोरकू जनजाति

कोरकु , मुंडा अथवा कोल जनजाति की एक शाखा है कोरकू का मतलब होता है मनुष्यों का समूह।

डोंगर देव बटुआ एवं गांव के देवता इन के प्रमुख देवता है

पचमढ़ी क्षेत्र में रहने वाले कोरकू बंदोरिया कहलाते हैं।

अमरावती जिले के कोरकू आदिवासी  रूमा कहलाते हैं

बैतूल जिले के कोरकू आदिवासी बावरिया कहलाते हैं

सहरिया जनजाति

यह कोलारिय परिवार की एक अत्यंत पिछड़ी जनजाति है

फारसी भाषा में शहर का मतलब जंगल होता है और यह लोग जंगल में निवास करते हैं इसीलिए इन्हें सहरिया कहा जाता है।

भारिया जनजाति

यह गोड़ जनजाति की एक शाखा है
मध्य प्रदेश में यह मुख्यतः जबलपुर छिंदवाड़ा जिले में पाई जाती है।

इनकी प्रमुख उपजातियां
भूमिया
भूमिहार
पैडो

प्रमुख त्यौहार
बीदरी पूजा
नवाखानी
जवारा

कोल
यह मुंडा समूह की एक अत्यंत प्राचीन जनजाति है इसका मूल स्थान मध्य प्रदेश के रीवा जिले का कुराली क्षेत्र है।

कोल जनजाति का उल्लेख ऋग्वेद, मत्स्य पुराण महाभारत एवं रामायण आदि प्राचीन ग्रंथों में किया गया है

कोल मध्य प्रदेश के विंध्य कैमूर श्रेणियों के मूल निवासी है।

कोल जनजाति संगीत के शौकीन होते हैं।

इनका प्रसिद्ध आदिम नृत्य कोलदहका है।

इनकी पंचायत को गोहिया पंचायत कहा जाता है

कॉल की उपजातियां

रोहिया
रोठेल

पारधी जनजाति
यह जनजाति सीहोर और रायसेन जिले में मिलती है।

नोट- जिले की जनसंख्या जनजातीय प्रतिशत के आधार पर झाबुआ।

सबसे कम जनजातीय जनसंख्या वाले जिले भिंड दतिया शाहजहांपुर और उज्जैन है।

भारत में कुल आबादी का 8.6% हिस्सा जनजातियों का है जिसमें मध्य प्रदेश की कुल आबादी में 21. 10% हिस्सा जनजातियों का है जबकि देश के कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या का मध्य प्रदेश में 14. 6 9 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है।

मध्य प्रदेश की दहिया जाति अनुसूचित जाति में शामिल होगी।

मध्य प्रदेश की गोंड जनजाति में भाई का लड़का और बहन की लड़की अथवा भाई की लड़की और बहन का लड़का में विवाह प्रचलन है जिससे यह लोग दुग्ध लौटावा कहते हैं।

कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

बिझवार , कठमैना बैगा जनजाति की उपजातियां हैं।

आदिवासी उपयोजना का प्रारंभ पांचवी पंचवर्षीय योजना से शुरू हुआ।

आदिवासी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ठक्कर बापा द्वारा किया गया

मध्यप्रदेश के भिंड जिले में न्यूनतम जनजाति जनसंख्या पाई जाती है।

गोल गधेड़ो विवाह प्रथा भील जनजाति में पाई जाती है।

भगोरिया नृत्य भील जनजाति में प्रचलित है।

पातालकोट छिंदवाड़ा में भारिया जनजाति रहती है।

सहरिया जनजाति मुख्य रूप से गुना अशोकनगर शिवपुरी में निवास करती है।

आदिम जाति कोरकु मध्यप्रदेश में उत्तर पश्चिम के जिले में पाई जाती हैं

लमसेना विवाह पद्धति बैगा में प्रचलित है।

फारसी भाषा में सहर का मतलब जंगल होता है


सैला बैगा जनजाति का नृत्य है



No comments:

Post a Comment